एक शादीशुदा औरत के अधिकार - The rights of a married girl

मैं एक शादीशुदा लड़की हूं। मेरी उम्र 21 साल है। साल 2019 में मेरी शादी हुई थी, मेरी मर्ज़ी के खिलाफ। मेरा पति मुझे मानता नहीं था, केवल मारता-पीटता, गाली-गलौच करता था। जब मैं पहली बार ससुराल गई थी तो करीब 30 दिनों तक वहां रही थी। मेरा पति रोज़ शराब पीकर आता, गाली देने लगता, झगड़ा करता, छुरी लेकर दरवाजे पर खड़ा हो जाता, दरवाजा तोड़ने की कोशिश करता। ससुराल में बिताए उन 30 दिनों ने मेरा बुरा हाल बना दिया था। आखिरकार मैंने अपने भाई को बुलाया और मैं वापस मायके चली आई। उसके बाद से अपने पति से मेरी मुलाकात नहीं हुई है।

अब मैं अपने मायके में मैं रहती हूं, लॉकडाउन के पहले से यहां थी। मेरे घर में केवल मां-बाप थे मेरे। मेरे दोनों भाई-भाभी बाहर रहते थे। परिवार में एक-दूसरे के साथ कोई झंझट नहीं होता था। जब कोरोना वायरस की महामारी के कारण लॉकडाउन लगा तो सबलोग घर आ गए। अब सबको एक साथ एक ही घर में रहना पड़ता है। घर छोटा है तो लड़ाई-झगड़े बढ़ गए हैं। घर पर तरह-तरह की बातें होने लगी हैं। मुझ पर ससुराल जाने के लिए दबाव दिया जाने लगा है। मेरी जो दो भाभियां हैं वे चाहती हैं कि मैं यहां न रहूं। रोज़-रोज़ मैं उनके ताने मैं सुनती रहती हूं। 

कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन हुआ और सब कुछ बंद हो गया। गाड़ियां बंद थीं। इसलिए मेरे भाई लॉकडाउन के बीच किसी तरह ट्रक से बक्सर आए थे। ट्रकवाले ने एक आदमी का दो हजार किराया लिया था। 25 लड़कों ने मिलकर गाड़ी रिजर्व की थी। जब भाई-भाभी घर वापस आए तो मैं बहुत खुश थी। मैंने सोचा कि ये लोग अपने घर आ गए तो अब कोरोना महामारी से बच जाएंगे। लेकिन घर आने के बाद किसी के पास कोई काम नहीं था। रहने के लिए घर था, लेकिन खाने-पीने को लेकर झगड़ा होता था। पैसे को लेकर दिक्कत होने लगी थी, फिर भी मुझे लगता है कि घर में झगड़े का असली कारण पैसे की कमी नहीं हैं। कारण तो यह हैं कि मैं यहां रहती हूं। एक तरह से अपने परिवार से लड़कर ही रहती हूं।

 

भईया और भाभी को मुझे देखकर दुख होता है। उन लोगों को लगता है कि मैं मायके की संपत्ति में हिस्सा लूंगी। समुदाय के और भाभी के मायके के लोग भी कहते हैं कि ससुरालवालों से फैसला करके मेरी दूसरी शादी कर दी जाए। मेरे बारे में सलाह दी जाती है कि बच्ची नहीं है, जवान लड़की है, इसलिए इसकी दोबारा शादी करके विदा करो। मैं घर में सब से कहती हूं कि मैं यहां कुछ दिनों के लिए हूं। उसके बाद मैं सोचूंगी कि क्या करना हैं। मैं कुछ काम करूंगी, अपना रास्ता निकालूंगी। मैं यहां नहीं रहूंगी। घर का काम दोनों भाई और पापा करते हैं। मुझे कहा जाने लगा कि बाहर जाकर भाई के साथ काम करो। भाभी कहती हैं कि अपने ससुराल जाओ, नहीं तो दूसरी शादी कर लो। लेकिन मैंने कहा है कि मैं तुमलोगों की मर्जी से दूसरी शादी नहीं करूंगी। मेरी मर्ज़ी होगी तो मैं कर लूंगी, लेकिन अभी नहीं।    

पहली शादी मैंने अपनी मर्जी से नहीं की थी। मेरे पापा ने मुझे लड़का नहीं दिखाया था और बिना मेरी सहमति के मेरी शादी कर दी थी। शादी हो जाने के बाद मैंने लड़के को देखा तो मुझे वह पसंद नहीं आया। लड़का पढ़ा-लिखा भी नहीं था। एक तो पसंद नहीं, दूसरा वह शराबी था। इसलिए मैं उसके साथ रहना नहीं चाहती थी। मुझे पसंद वह इसलिए नहीं आया कि वह उम्र में भी मुझसे बहुत बड़ा था। मैंने अभी नहीं सोचा है कि मुझे कैसा लड़का चाहिए। आगे जीवन में क्या करूं क्या ना करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा है। लेकिन जो मेरे साथ हुआ वह मैं किसी और के साथ नहीं होने दूंगी। अपने घर में या दूसरे के घर में भी किसी की शादी होगी तो मैं कहूंगी कि लड़की अपनी पसंद बताए। 

लड़का गोरा हो या काला, उससे मुझे नहीं फर्क पड़ता है। लेकिन शराबी या मुझसे बड़ी उम्र का नहीं होना चाहिए। लॉकडाउन हो या ना हो उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि मैंने ससुराल में पति के साथ समय भी नहीं बिताया तो मुझे क्यों लगेगा कि मैं अकेली हूं। जैसे पहले रहती थी वैसे ही अभी भी हूं। मैं प्यार के बारे में कभी नही सोचती हूं। मुझे भईया-भाभी को साथ देखकर अपना घर याद नहीं आता है। मैं ज्यादा दिन ससुराल में नहीं रही हूं। ना ससुराल के बारे में कुछ जानती हूं। न ही किसी का प्यार जानती हूं। तो मुझे क्या याद आएगा ? लेकिन एक बात सोचती हूं कि मेरा पति अच्छा होता तो ये दिन मुझे नहीं देखना पड़ता, मायके में नहीं रहना पड़ता। 

शुरू में मैंने अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की ताकि वह नशा करना छोड़ दे। वह एक ही बात कहता है कि वह शराब पीना नहीं छोड़ेगा। हर नशा करूंगा। चाहे मैं उसके साथ रहूं न रहूं। वह सुधरनेवाला नहीं है। तो मैं क्या करूं? शुरू में उसकी मां ने उसकी नशामुक्ति के बहुत उपाय किए थे, फिर भी उसने नहीं छोड़ा। अब मैं कुछ नहीं कर सकती। उसकी हरकत देखकर मेरा दिल टूट गया है। मुझे एक छोटा सा भी काम मिल जाए तो मैं उसी काम के सहारे अकेले जी लूंगी। मुझे मायके में भाभियों की गाली बर्दाश्त नहीं होती है। मां के साथ भी वे लोग झगड़ा करती हैं। पता नहीं अपने झगड़ा में भी मुझे क्यों गाली देती हैं। जब मैं कुछ जवाब देती हूं तो बुरा-भला सुना देती हैं। इसके चलते मेरी नानी भी कहती है कि तुम पति के पास चली जाओ। लेकिन मेरा दिल नहीं करता है कि मैं पति के साथ रहूं।

आजकल मैं FAT संस्था से जुड़कर काम करती हूं। उसके बारे में मेरी नानी बार-बार कहती हैं कि सब काम छोड़ दो। मेरा घर मम्मी-पापा का है, नानी का नहीं। नानी का गांव पास में ही है। जब भी नानी के घर जाती हूं तो सब लोग पूछते हैं, “अपने पति से बात करती हो।” मैं कहती हूं, नहीं। तब वे लोग कहते हैं कि बात करो तभी वह सुधरेगा। बाहर जाकर उसके साथ रहो। तुम कमाकर कितना भी पैसा मायके में दोगी तो भी यहां तुम्हें इज्जत नहीं मिलेगी। इन सब बातों से दिल में चोट लगती है। मैं इन पर ध्यान नही देने की कोशिश करती हूं। जो मेरा दिल करता है वही करती हूं मगर अकेले भी रहना अच्छा नहीं हैं।

कोविड-19 के दौरान मुझे FAT की तरफ से कुछ राशन के लिए पैसा भी मिला था। मेरी वजह से ही मेरे घर में राशन आया फिर भी यहां मेरी कदर नहीं है। किसी तरह भाभियों के ताने बंद नहीं होते हैं। मेरे मां-पापा कुछ नहीं कहते जबकि वे भाई-भाभी की कमाई पर निर्भर नहीं हैं। भाई भी मुझे डांट देते हैं कि तुम चुप रहो, कुछ मत बोलो। उन लोगों का कहना है कि इतने पैसे लगाकर तुम्हारी शादी की है, मायके में रहने के लिए नहीं। भाई, भाभी से डरते भी हैं क्योंकि वे गाली देने लगती हैं, मर जाने की धमकी देती हैं। यह भी धमकी देती हैं कि हमने अधिक बोला तो थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवा देंगी।

सच पूछो तो जब तक मेरी मां हैं और पापा कमा रहे हैं तभी तक मैं मायके में रह सकती हूं। जब वे दोनों नहीं रहेंगे तो मेरा क्या होगा। इसलिए मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं ताकि किसी दूसरे पर निर्भर न रहना पड़े। मुझे FAT से हिम्मत मिलती है। यहीं मैंने सीखा कि अपने हक के लिए लड़ना चाहिए। उसके लिए जानकारी भी ज़रूरी है कि कब कहां बोलना है। मैं पापा से कहती हूं कि मैं यहां हिस्सा लूंगी। तब पापा हाटते हुए कहते हैं कि मायके में बेटी का हिस्सा नहीं होता है। पापा नाराज़ हो जाते हैं। मुझ से बात भी नहीं करते हैं। बोलते हैं कि मैं फालतू बातें करती हूं, भाई के साथ झगड़ा करना चाहती हूं। जबकि मैं तो केवल अपने हक की बात करती हूं। मैं सोचती हूं कि कुछ पैसा कमाने लगूंगी तो मैं मायके से अलग रहने लगूंगी। उसके बाद आगे के बारे में सोचूंगी।

 

I am a 21 year old married girl. I got married last year in 2019 and it happened against my will and choice. My husband thought very little of me, would not even speak with me properly. He would often beat me up and abuse me. When I first got married, I could only stay with him for a month. Everyday he would come home drunk and fight with me. If I locked the door, he would bang it violently and stand there with a knife. He would also cut the electricity wires. I could not tolerate it after a month and went back to my maternal home.

Now I live with my parents. I came back home before the lockdown and it was peaceful at home. There were just me and my parents. My two brothers lived away with their wives and there were no fights. With the lockdown, everybody came back home. Since the house was small, there were a lot of fights. My sister-in-laws started pressuring me to go back to my in-laws. This started happening daily.

The lockdown happened because of COVID-19. There was no transportation. Somehow my brothers managed to come back home. They, along with 25 other men, rented a truck to return to Buxar. Each had to pay Rs. 2000. I was happy when they came back. They were safer at home. However, we had a roof over our heads but no money for food. There was no source of income either. Even though there were a lot of financial problems, I would think that the fights were because of me.

My brother and sister-in-laws are worried that I will take a share of the property. The community too wanted me to do a second marriage. I didn’t want to get married. I just wanted more time to figure out what I want. I wanted to find a way for myself and live alone. My family said that if I wanted to work, I should start accompanying my brother to his workplace. The other alternative was to marry again. But I didn’t back down. If I wanted to get married someday, I will, but not right now. 

For the first marriage too, I didn’t have a say. I had not even seen my husband till the day we got married. But when I saw him, I didn’t like him. Neither was he educated nor good-looking. On top of that, he was an alcoholic and much older than me. That’s why I didn’t want to live with him in the first place. That’s when I realised that girls should have a say in their marriage. I am determined to give this choice to girls in my family.

I don’t care about the skin colour of my husband. What I do care about is the age gap and addictions. The age-gap between the partners shouldn’t be more than 2 years.The lockdown didn’t have an effect on my marriage because I came home before that. My life hasn’t changed much. I don’t miss my husband, we never spent time together and never formed a bond. In retrospect, I wish I had gotten married to a nice man. That way I wouldn't have to live with my parents.

It is not that I didn’t try. I tried to understand my husband and the reasons for his addictions. He would just say that he has no parents and a lot of stress in his life. He refused to give up alcohol and refused to mend his ways. In the earlier days, his mother tried to put him in a de-addiction center but that didn’t work out. I have lost all hope in him. Now I just want a job for myself as soon as possible. I wanted to go out of this house as soon as possible. I am tired of  my sister-in-laws  taunting me everyday. They even started picking up fights with my mother and I am dragged in these too. Because of them my nani (maternal grandmother) too had started to ask me to go back to my husband's place. 

Now I am associated with FAT but my nani doesn’t like it. She wants me to go back to my husband. My community members too want me to sort out things with my husband and go back. They say even if I earn well, the society would not give me respect because I live alone. This pains me a lot and I am not able to decide what to do. 

During the pandemic, FAT distributed dry ration as relief to many houses. It was because of my association with FAT that my family got this relief. Even this didn't stop my sister-in-laws  from taunting. My parents also don’t say anything to stop the taunts, even though they are not dependent on my brother's income. Even my brothers don’t say anything to their wives because they would then start abusing. They sided with their wives because they were vary of them as they often threatened to kill themselves if my brothers said anything or scared them through the pretense of registering a police complaint.

I now realise that until my parents are alive,  I can live with them. I wouldn’t have anyone after they are gone. Hence I want to be independent. FAT has made me aware of my rights and taught me to fight for them. FAT gave me confidence. I tried to ask my father for my share of the land but he got angry. He said that girls don’t have a share in property and that I should not try to create trouble in the family by having such demands. 

I now want to start earning and living independently as soon as possible. Then I will start thinking about my future. Nowadays, I spend most of my time with the girls from FAT and I enjoy it.

Written by Pramila Kumari  (22), Buxar, Bihar

This article is part of an Livelihood Action Project of FAT with young girls from Bihar and

Jharkhand to enable them to become professional story writers. The training for story writting was done by Purwa Bharadwaj, and she edited and finalised the story in Hindi. The English translation of this story was done by an intern from TISS, Aqsa and final edits by Meetu Kapoor.