नीला आसमान- The Blue Sky
जैसे जैसे दिन बीतता गया पेड़ों की टहनियाँ कुछ इस तरह से फैल रही थीं मानो उन्हें नीले आसमान को छूना हो, रिशु की जिंदगी भी कुछ इसी तरह थी। उसे भी अपने जिंदगी में नीले आसमान को छूना था । पर किसे पता था कि उसे बाहर के लोगों से कम और घर के लोगों से ज्यादा लड़ना पड़ेगा!
रिशु झारखंड राज्य के गिरिडीह के छोटे से गाँव नरेंद्रपुरपुर की रहने वाली थी। उसका परिवार लोगों से भरा पड़ा था, लेकिन क्या फायदा! उसे समझने वाली एक अकेली उसकी बूढ़ी दादी थी . दिक्कत है कि जब लोग बूढ़े हो जाते हैं तो फटे जूते की तरह एक कोने में फेंक दिये जाते हैं । उसी तरह रिशु की दादी के साथ हुआ । उसके दादा के गुजर जाने के बाद उसके बाबूजी के ऊपर घर की जिम्मेदारी पड़ गई थी। बाबूजी दिनभर खेत में काम करके सब्जियाँ - बैंगन, सिम, पटोल (परवल), करेला, भिंडी और मौसम आने पर मौसमी फसलें उगाया करते थे । रिशु का खेत ज्यादा बड़ा नहीं था । एक कट्ठा से कम जमीन थी । उसी खेत में जो सब्जियाँ उगतीं उनको बाबूजी बेचा करते थे । उसे बेच कर अपना घर चलाते थे । घर में पांच बेटियाँ थीं । सबसे बड़ी थी रिशु । जब भी रिशु की अम्मां गर्भवती होती तो उसके बाबूजी को आशा होती कि इस बार तो बेटा ही होगा । लेकिन हर बार लड़की होती । इस बार फिर खुशखबरी मिली तो अम्मां के गर्भ की जाँच करवाई गई । उसमें पता चला कि इस बार भी लड़की है तो बाबूजी ने बिना बताए अम्मां का गर्भपात कराने की कोशिश की । अम्मां के मना करने पर भी वे नहीं माने । एक बात भी किसी की कभी नहीं सुनते थे । लेकिन इस बार गर्भ 3 महीने का हो चुका था और अब गर्भपात कराना मौत के मुँह में जाना था । और रिशु की अम्मां लड़का ना पैदा होने के कारण मरना नहीं चाहती थी । आखिर गर्भपात नहीं हो सका और तब अम्मां की इतनी पिटाई हुई थी कि वह कोई काम नहीं कर सकती थी ।
कुछ महीनों बाद रिशु की छठी बहन का जन्म हुआ । पाँचों बहनें खुश थीं, उसका नाम राजो रखा । लेकिन बाबूजी ने काफी बार उसका गला घोंटने की कोशिश की । किस्मत से हर बार राजो बच जाती । उधर रिश्ते के लिए रिशु को देखने बार-बार लोग आ रहे थे । लेकिन रिशु को पढ़ना था । वह घर में किसी को बिना बताए गाँव के स्कूल के शिक्षक से पढ़ती थी । केवल अम्मां को यह पता था । पढ़ने के बाद सीधे रिशु खेत जाती और वहाँ पर सब्जियों की देखभाल करती, सब्जियाँ तोड़कर लाती ताकि सुबह बेचा जा सके और बाबूजी को शक ना हो! पढ़ाई में उसको अच्छा देखकर गुरुजी ने रिशु को स्कूल में दाखिला लेने के लिए कहा । मगर रिशु के बाबूजी को पसंद नहीं था कि उनकी कोई भी बेटी पढ़े । मन ही मन में रिशु सोच रही थी कि यह बात कैसे गुरुजी को बताए ।
खेत से आने के बाद सारी बहनें मिलकर घर का काम करती थीं । जैसे ही रात होती सारी बहनें एक साथ बैठ जातीं और जो भी रिशु ने अपने गुरुजी से सीखा होता वे वह सारी चीजें अपनी बहनों को सिखाती । सबसे छोटी बहन राजो को रिशु की बात बहुत पसंद आती । राजो अपनी मीठी आवाज में बोली - “दीदी, आज आपने क्या सीखा है?”रिशु बोली – “हाँ हाँ, बताते हैं, जरा अम्मां-बाबूजी को सोने तो दो । ” एक दिन रिशु ने बताया - “आज हम ककहरा सीखेंगे । ”तब तीसरी बहन मंजु ने पूछा - “दीदी, यह ककहरा क्या होता है? कुछ खाने का होता है क्या? रिशु ने समझाया – “नहीं, रुको तो जरा । क से ज्ञ अक्षर तक ककहरा होता है । ककहरा से बहुत सारा शब्द हम बना सकते हैं और लिख सकते हैं । जैसे यह मेरी छोटी गुड़िया है । समझी? अब हम लिखकर बताते हैं । ” राजो ने सिर हिलाया – “अच्छा दीदी । ” सब अपनी–अपनी स्लेट और खड़ी लेकर आ गईं । रिशु ने उस पर लिख दिया । बहनों में इशारों में अधिक बात होती थी क्योंकि सब रात को ज्यादा बात नहीं करती थी!
सवेरा होते ही सारी चिड़ियों के चहकने की आवाज कानों में आने लगती है और सबको पता चल जाता है कि अब सवेरा हो गया! सब अपने अपने काम-धंधे में लग जाते हैं । एक सुबह की बात है ।
रिशु की अम्मां बोली - "आज तो खटिया छोड़ने का मन नहीं कर रहा है । पता नहीं क्यों थोड़ा कमजोरी सी लग रही है । जरा मेरे लिए लस्सी लाना रिशु । ”
रिशु लस्सी लेकर तुरंत आई । लस्सी पीते-पीते अम्मां बेहोश हो गई । यह देखकर रिशु जोर से चिल्लाई, राजो, जल्दी आओ । सब बहनें घबराए हुई आईं और लोटे से पानी के छींटे डालने लगीं । जब अम्मां को होश नहीं आया तो मंजु डॉक्टर को बुलाने भागी । बगल के ही गाँव में मुरली नाम के एक डॉक्टर रहते थे । सुबह के 8:00 बजनेवाले थे और उनके क्लिनिक जाने का समय हो रहा था ।
हाँफते हुए मंजु ने कहा – “काका, काका ! जरा रुको तो!”
डॉक्टर ने पूछा – “क्या हुआ मंजु इतना घबराई क्यों हो? सब ठीक है ना? क्या फिर से किशन ने तुमलोगों को मारा पीटा है?
मंजु बोली – “नहीं नहीं, काका! अम्मां की तबीयत बहुत बिगड़ गई है । आपको लेने आए हैं । ”
मुरली काका ने सुना और अपने स्कूटर को स्टार्ट करते हुए कहा - “जल्दी बैठ जा मंजु । कितना पैदल चलेगी?”
फ़ौरन साथ में दोनों चल पड़े !
मुरली काका के घर के अंदर आते आते अम्मां होश में आ गई थी । काका ने चेकअप किया । कल अपने क्लिनिक में आने को बोले और कुछ दवाइयाँ देकर चले गए । अम्मां की तबीयत खराब होने की खबर सुनकर बुआ के घर से दादी भी लौट आई! जब यह बात बाबूजी को पता चली तो सीधे खेत से आने के बाद कमरे में गए ।
बाबूजी दादी से बोले – “क्या कम थे घर पर खानेवाले जो तुम यह सुनकर लौट आई हो । तेरी बहू मर नहीं रही है । जब मर जाती तो खबर पहुँचा देते । जरा सा बीमार नहीं हुई, सबलोग इस महारानी की सेवा में लग गए हैं । ”
यह भुनभुनाते हुए कुदाल लेकर रिशु के बाबूजी फिर से खेत में चले गए! अम्मां से बाबूजी ने एक बार पूछा तक नहीं कि क्या हुआ । अम्मां को पता था कि वह फिर से गर्भवती है । लेकिन वह किसी को बताने से डर रही थी । उसके शरीर में बस हड्डियाँ दिख रही थीं । एक दिन सफिया दीदी घर पर जनगणना करने आई । वह हर घर में जा-जा के फार्म भर रही थी । रिशु के घर पर भी आई । उसकी अम्मां गर्भवती होने की बात बताना नहीं चाह रही थी, पर छुपा भी नहीं सकती थी ।
जब उसने बताया तो सफिया दीदी ने सलाह दी कि गाँव के कुछ ही दूर में चिकित्सा भवन है । वह खास तौर पर कमजोर गर्भवती महिला के लिए है और वहाँ पर मुफ्त इलाज होता है । यह सुनकर अम्मां के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि वह कमजोरी की वजह से अपने बच्चे को कुपोषित नहीं होने देना चाहती थी । वहाँ से इलाज करवाया उसने ।
उधर रिशु के बाबूजी को सब पता चल चुका था । उनका वही रवैया था कि जाँच कराओ कि लड़का है या लड़की । पर इस बार अम्मां ने साफ मना कर दिया । वह बोली कि यह गैरकानूनी है और मैं बच्चा चेकअप करवा करवाकर थक चुकी हूँ । मैं अब और बच्चा नहीं मार सकती । सुनने भर की देरी थी । बाबूजी ने अम्मां को बहुत मारा ।
खैर, 9 महीने पूरे हो चुके थे और इस बार लड़का हुआ । घर पर सबलोग हैरान थे कि यह कैसे हुआ । बाबूजी ने पंडित को बुलाकर घर में हवन कराया और पड़ोसियों को मिठाई खिलाई! वे जोर-जोर से चिल्ला रहे थे कि मेरे यहाँ लड़का पैदा हुआ है । अपने बेटा को खटिया पर सुलाते हुए वे हम बहनों को बोल रहे थे कि देखो मेरा सिर उठानेवाला आ गया है! तुम सब कोई कर्म की नहीं हो । बस खाने के लिए पैदा हुई हो । हम इतना सारा दहेज कहाँ से लाएँगे ,और बेटियों को कोसते हुए वे खेत पर काम करने चले गए । सारी बहनें छुप छुप के लगातार पढ़ रही थीं । एक दिन सबसे बड़ी रिशु की शादी हो गई और उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी । उसके ससुराल चले जाने के बाद बाकी बहनों की पढ़ाई छूटने की नौबत आ गई । भाई ना पढ़ता और ना किसी को पढ़ने देता । किसी तरह राजो अपनी सहेली चंपा की किताब से पढ़ाई करती रही । राजो और चंपा बहुत अच्छी सहेली थीं । राजो अक्सर याद करती थी कि क्या दिन थे वे जब दोनों सहेली बकरी चराते समय तालाब के किनारे बैठ के गप्पें मारते ।
उधर सबसे छोटा भाई राजेश बड़ा हो चुका था । राजेश को बाबूजी पढ़ाने की बहुत कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसे अपने दोस्तों के साथ जुआ खेलने से फुर्सत नहीं थी । तब भी वे उसको कुछ नहीं कहते थे । बेटियाँ कुछ भी माँग लें तो मार के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिलता था । यहाँ तक कि खाना भी ज्यादा माँग लो तो मार पड़ जाती थी । जबकि बेटा जो माँगे उसकी हर जिद बाबूजी पूरी करते थे ।
एक दिन मुरली काका को रास्ते में मंजु और राजो दिखे । उन्होंने मंजु से कहा - “अभी तुमलोग घर से बाहर मत निकलना ।
कोरोनो के कारण लॉकडाउन है!”मंजु समझी नहीं - “क्या काका? हाँ, राजो इसके बारे में कुछ समझा रही थी । पर किसी को इसके बारे में ठीक से नहीं पता है कि कोरोना क्या होता है । ”राजो बोली – “दीदी एक वायरस है जिसका नाम कोरोना वायरस है । यह पूरे हमारे देश में फैल गया है और लोग इस बीमारी से मर रहे हैं । अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है । यह लोगों के संपर्क में आने से फैलता है । छूत की तरह है । इसमें तेज बुखार, साँस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं । कई बार पता ही नहीं चलता है या हमें 15 दिनों के बाद पता चलता है कि कोरोना हुआ है या नहीं । वह भी चेकअप करवाने के बाद । इसीलिए लॉकडाउन किया हुआ है । वायरस से बचने के लिए ताकि लोग सुरक्षित रहें । ”मंजु ने कहा – “अच्छा, अभी तो लोगडाउन एक महीने का हो चुका है । बोला गया है कि कोई घर से बाहर नहीं जाएगा । जब घर पर सब रहने लगे तो खाने का दिक्कत तो होगा न? बाकी दिक्कत भी है ही । ”
सचमुच और भी दिक्कत थी । रिशु-मंजु और राजो का घर कच्ची मिट्टी का था । बरसात होती तो घर की छत से पानी टपकता अंदर । जैसे तैसे घर चल रहा था । यह सब जानकार मुरली काका ने राजो को अगले दिन काम करने के लिए अपने दफ्तर आने को कहा । राजो आठवीं कक्षा तक पढ़ी थी और मुरली काका का दफ्तर उसके घर से ज्यादा दूर नहीं था । इस कारण उसे जाने और आने में भी परेशानी नहीं होती । राजो का काम करना बाबूजी को बहुत अखर रहा था । पर वह क्या करते? घर को कोई तो चलानेवाला होना चाहिए था । हारकर उन्होंने राजो को जाने दिया । इस काम से राजो को 2000 रुपए मिलते थे । उसी से वह पूरे घर को चला रही थी और अपनी अम्मां का इलाज भी करवा रही थी! जब सुबह-सुबह राजो दफ्तर के लिए जा रही थी तो एक दिन उसके बाबूजी ने पूछा कि क्या कुछ खाने का सामान है तुम्हारे पास । यह सुनकर राजो हैरान थी कि जो इंसान बार-बार बेटी का गला घोंटने और उसको मार देनेवाला था वह आज खाने की बात कर रहा है । राजो मन ही मन सोच रही थी, “सच बोलती थी रिशु दी कि एक दिन हम बहनों में से कोई एक जरूर इस घर की जिम्मेदारी उठाएगी । बाबूजी हमेशा बोलते थे कि हमारा बेटा एक दिन घर का सारा बोझ उठाएगा । लेकिन आज देखो, राजेश न घर का है न घाट का । बेटी ही काम आ रही है । ”
राजो बाबूजी को बिना कुछ बताए दफ्तर चली गई! वहाँ मुरली काका ने पूछा कि तुम्हारे बाबूजी आए हैं क्या । राजो चौंकी । वह बाहर निकली तो उसने देखा कि सच में बाबूजी आए थे । उनके हाथ में मक्के की रोटी पोटली में बंधी हुई थी । पोटली थमा कर वे वहाँ से चले गए । जाते जाते बोले कि “बेटा हो या ना हो, बेटियाँ ही घर का बोझ उठा सकती हैं । हम तुमलोगों के साथ जो किए हैं उसके लिए माफी माँगते हैं” । और वे आँसू पोंछते हुए घर चले गए!
उसी समय स्कूल के गुरुजी वहाँ से गुजर रहे थे । जैसे ही उन्होंने मुरली काका को देखा वे वहाँ रुक गए । राजो को देखकर गुरुजी बोले – “क्या हाल है राजो? रिशु के पढ़ाई छोड़ने के बाद तुमने भी पढ़ना छोड़ दिया क्या?”राजो सकुचाते हुए बोली - “हाँ” गुरुजी – “तुम्हें तो पढ़ाई करनी चाहिए । तुम एक होनहार बच्ची हो । ”राजो ने परेशानी बताई – “ हाँ गुरुजी, पर बाबूजी का क्या करें? बाबूजी इसके लिए कभी नहीं मानेंगे । ”गुरुजी - “हाँ । जब रिशु हमारे पास पढ़ा करती थी उस समय भी बात करने पर तुम्हारे बाबूजी ने साफ मना कर दिया था । लेकिन हमें लगता है कि अब वह मना नहीं कर सकते हैं क्योंकि तुम ही तो घर को चलाती हो । शायद तुम्हारे बात करने से वे मान जाएँ । ”
ये सारी बातें बाबूजी एक कोने में रुककर सुन रहे थे । वे वहाँ सामने आकर बोले – “मुझे माफ करना गुरुजी । काश आपकी बात हम पहले मान लिए होते तो आज हमारी सारी बेटियाँ पढ़ रही होतीं । हम अपनी सारी बिटिया को काफी तकलीफ दिए हैं । अब हम यह गलती सुधारना चाहते हैं । पहले हम अंधा हो गए थे कि इतनी सारी बेटियों का बोझ कैसे उठा पाएँगे । इसलिए बेटा बेटा रट रहे थे । हमें लगता था कि वह हमारा काम आसान कर देगा । हमेशा बेटे को ही पढ़ाने-लिखाने का जतन किए । लेकिन यह हमारी गलतफहमी थी । बोला जाता है न कि जब जागो तभी सवेरा । तो आज हम जाग गए हैं । अपनी सारी बेटियों को हम पढ़ाएँगे । हम अच्छे पद पर उनको देखना चाहते हैं । आज राजो पूरा घर चला रही है । राजो का सपना था कि वह एक समाजसेवी बने । अपने सपनों की दुनिया को वह हकीकत में बदल रही है । और अपने गाँव में एक लीडर लड़की बन चुकी है । उसको गाँव के लोग अलग से पहचानते हैं । बाप को और क्या चाहिए!”
राजो मुस्कुराई । सोचने लगी कि अब जल्दी से रिशु को वो यह सब बताएगी, बाकी बहनों को बताएगी । अम्मां का दुख भी इससे कम होगा . वह भी शायद नीला आसमान छू पाए .
As the day passed by, the branches of the tree were spreading as if they wanted to touch the blue sky . Rishu’s life was also something like this, she dreamt to touch the blue sky . But nobody knew that Rishu had to fight with her own family more than the outsiders ?
Rishu was a resident of Narendrapur, a small village in Giridih in Jharkhand .
She had a big family but what was the use! No one except for her old grandmother understood her . The problem is, when people get old, they are treated as an “old shoes discarded in a corner” . It was the same case for Rishu’s grandmother . After her grandfather passed away her father had to take the entire responsibility of the house and the family . Her father was a very hard-working farmer . He grew vegetables like bitter gourd(karela), pointed gourd (parwal), brinjal, sem in his farm land, and at times he also cultivated seasonal vegetables . Her father sold the vegetables from his farm to earn a living for the family .
The family had 5 daughters . Rishu was the eldest . Each time her mother got pregnant her father expected a son but every time they had a daughter instead . This time when her mother was on the family way, they got her tested and found that it was again a girl . Rishu’s father tried to get her mother’s abortion done . Rishu’s mother asked him not to do so but he refused to listen . He never listened to anyone . This time the foetus was already 3 months old and an abortion would lead to death . Rishu’s mother did not want to die because she couldn’t give birth to a son . Later the abortion could not happen and she was brutally beaten by her father that she was unable to work .
Few months later Rishu was blessed with a sister . They named her Rajo . All the five sisters were very happy but their father wasn’t . He tried to strangle Rajo many times but she survived every attempt .
On the other hand, marriage proposals were constantly coming for Rishu, but she wasn’t interested, she wanted to study further . She secretly started studying from the village school teacher . Only her mother knew about it . After the classes she went straight to the field and looked after the vegetables . She also plucked the vegetables and brought home so her father would not become suspicious about her! Seeing her good results her teacher insisted that she took admission in the school . But her father didn’t want any of his daughters to study . Rishu was wondering how to share this with her teacher .
After coming from the field, the sisters used to complete the household chores and later at night Rishu shared her study material with all of them . The youngest sister Rajo really liked to learn from Rishu
Rajo asked in her sweet voice:- “Didi what have you learnt today?”
Rishu said:- “Yes, let mother and father go to sleep . I will tell you after that .
One day Rishu said:- Today we will learn alphabets .
The third sister Manju asked:- Didi what is this alphabet? Is it something which we can eat?
Rishu explained:- Wait! There are alphabets from A to Z . We can form a lot of words with these alphabets and also write them, Example- She is my small doll . Understood? Now let me show you in writing” .
Rajo nodded her head- “Okay didi”
Everyone got their slate and chalk . Rishu wrote on that . The sisters communicated in sign language as they did not speak much at night .
The morning started with the chirping of birds . They all went back to their own assigned chores . One morning Rishu’s mother said: I don’t feel like getting out of bed today, I am feeling really weak . She asked Rishu to get some butter milk(lassi) for her . Rishu’s mother fainted while having the buttermilk . Rishu called out her sister Rajo . Her sisters came, they panicked, and started sprinkling water on their mother . When their mother didn’t regain consciousness, Manju ran to the next village to call Dr Murli .
It was 8 .00 o’clock in the morning and Dr . Murli was getting ready to leave for his clinic .
Manju:- (Panting) said wait Uncle(kaka)!
Doctor asked:- Manju why are you scared? Is everything alright? Did Kishan beat you again?
Manju said:- “No No uncle, my mother is in a serious condition, I am here to take you home’ .
Murli Kaka heard the entire thing and started his scooter and said- “Sit quickly . How much will you walk?”
They both left immediately .
Meanwhile Rishu’s mother gained consciousness . Murli Kaka checked her up . He prescribed some medicines and asked her to come to the clinic the next day . Hearing the news their grandmother also came back from their aunt’s (Bua) house . Father heard the news, he came back home and went straight inside the room .
Father said to the grandmother- “Already there are so many members in the family to eat and now you have also come back? Your daughter- in- law is not dying, I will let you know when she is dead . She is not that ill that everyone has to come back to look after her” .
Murmuring himself he picked his hoe and went back to the field . He didn’t bother to ask Rishu’s mother once what happened to her? She knew that she was pregnant again and was hesitant and scared to share the news, she was very weak, even her bones were visible .
One day Sophia Didi came to the village to take a census . She was visiting every house and filling the form for the detailed information . She also visited Rishu’s house . She did not want to share the news of her mother being pregnant but they couldn’t hide it either . When Rishu told Sophia didi about the news she suggested that they should take their mother to the health care centre which was near the village . She said: The health care centre is especially for the weak pregnant women, and they could easily avail the service free of cost . Hearing this Rishu’s mother felt relieved and happy as she did not want her baby to be malnourished because of her weakness . She took the treatment from there .
On the other hand, Rishu’s father got to know about the news and he started forcing her mother to go for sex determination again . This time her mother said that “I am tired of this process and it is illegal also, I am not going to kill my child” . The minute she said this she was beaten up by Rishu’s father .
After the completion of 9 months this time a boy was born . Everyone in the family was surprised to see it . Her father was happy . He organised a Puja in the house and also distributed sweets to the neighbours . He was shouting out of happiness and telling everyone that he has been blessed with a boy . He laid the baby boy on the bed and told the sisters: “See now I have someone who can hold my head high, you girls are of no use . You all are born only to fill your stomach, how will we manage to get so much dowry for you all”? Cursing his daughters and he left for the field .
Meanwhile all the sisters continued their studies discreetly . One day the eldest one Rishu got married and she had to leave her studies . After Rishu left the sisters had to face a lot of difficulty in continuing their studies . The brother neither studied himself nor did he let the sisters study . Rajo and Champa were very good friends, they all managed to study from Champa’s books . Rajo often thought about the days when the two friends went for grazing their goats, sat near the river bed and spoke for long hours .
Rajesh, their youngest brother, was grown up now . Father wanted him to study but he had no interest in it, he was busy gambling with his friends and yet father never said a word to him . On the other hand, if the daughters demanded anything, except for beating they got nothing else . Even if they asked for some extra food they were beaten up, whereas father fulfilled all the demands of his son .
One day Manju and Roja met Murli kaka on the way .
He said- “You don’t step out of the house as now there is a lockdown due to CoronaVirus”!
Manju couldn’t understand- “What Kaka? Yes, Rajo was saying something about it . But no one knows what actually the Corona virus is .”
Rajo said- “It’s a virus which is called Corona Virus . This virus is spreading like a catastrophe and people are dying because of it . There is no cure for it . It spreads with human contact . The symptoms of this are high fever, uneasy breathing, headache, weakness, muscle pain . Sometimes we might not know and it takes 15 days to diagnose if it is corona or not, that too after a proper check-up . That’s the reason for lockdown so that people can stay at home and be safe .”
Manju said- “Okay, now the lockdown is for one month . It has been told that no one should step out of the house for their own safety . When everyone will start staying at home there will be scarcity of food! Other than this there are other problems evolving too .
There were a lot of other problems they were facing . Rishu-Manju and Rajo’s house was made of raw clay . During rainy days the water would enter the house through the ceiling . They were facing a lot of hardships to run the house . Hearing this Murli kaka called Rajo the next day in his office to work . Rajo had studied till 8th standard and Murli kaka’s office was not very far from her house, Rajo had no problem in traveling . Rajo’s father was not happy with the idea of her working, but he had no choice; he needed someone to contribute in the house so helplessly he permitted Rajo to go for work . Rajo was earning Rs2000/-with which she was taking care of the entire house and also contributing for her mother’s treatment .
One day when Rajo was on her way to work her father asked if she had some food with her? Rajo was surprised thinking the man who wanted to strangle her and wanted her dead was asking such a question! Rajo thought to herself “Rishu di was right, she said one day one of us sisters will be taking the entire responsibility of the house .” Father always said that my son would take the entire responsibility of the house, but Rajesh is useless and now it’s the daughter who is being useful .
Rajo didn’t reply and left for work . At work Murli kaka asked her if her father had come along? Rajo was surprised and went out to check and she was astonished to see that her father was standing there . He was standing with a bag which had chapati made of ararot (Makke ki roti) . He handed it over to her and left the place . Before leaving he said, it's true that having a son or not is of any use, it’s the daughter who always takes the responsibility of the house . He apologised and left the place with tears in his eyes .
At that time the teacher of the school was passing by, seeing Murli kaka he stopped .
Looking at Rajo the teacher said- “How are you Rajo? After Rishu left her studies, you also stopped studying?”
Rajo- Hesitatingly said “Yes” .
Teacher- “You are a bright student you should continue your studies” .
Rajo- “Yes teacher, but what should I do with my father? He will never agree for this!”
Teacher:- “Yes, when Rishu was my student your father was against her studying too, but I think, now he might not say anything as you are the one taking the responsibility of the house . If you talk to him there might be a chance, he agrees this time .”
Meanwhile Rajo’s father was standing at a corner listening to the conversation . He came out and apologised to the teacher . He said: I wish I had listened to you earlier, then all of my daughters would have been studying now . I have really given my daughters a very hard time . I want to rectify my mistake now . I was blind thinking how I would manage the responsibility of so many daughters, that’s the reason I was craving for a son . I assumed he would make my life easy, I always worked hard so my son could get the education, but it was my misunderstanding as it is said QUOTE “Whenever you rise then it’s a morning” . So finally, I am awake today . I want all of my daughters to complete their education, I want to see them successful in life . Today Rajo is fulfilling the needs of the entire family . Rajo always dreamt of becoming a social worker, and she has made her dream come true . Today everyone in the village sees her as a leader, everyone recognises her, what else a father can ask for?
Rajo smiled and thought to herself that she would share this with her sister Rishu and also with the other sisters . She also thought that when her mother will hear this, her misery will also be reduced, and now Rajo might also be able to touch the blue sky .
Written by Neelam (18), Giridih, Jharkhand
This article is part of an Livelihood Action Project of FAT with young girls from Bihar and
Jharkhand to enable them to become professional story writers. The training for story writting was done by Purwa Bharadwaj, and she edited and finalised the story in Hindi. The English translation of this story was done by an intern from TISS, Aqsa and final edits by Meetu Kapoor.
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