My Experience of Legal workshop at AALI
“In this 4-day residential training program, we were told about Fundamental Rights. We learned about different acts in the Constitution very closely. I observed a different take on the right to equality under Article 14. We all know that we should have a feeling of equality towards every individual. But today the approach is getting a bit different because it seems that only on the basis of equality, but also on the basis of the needs of every individual, people should get the facility. It should be with equity rather than equality.
Issues of patriarchy, gender discrimination, domestic violence, intersectionality and religious conversion were discussed. We also discussed about the transgender society whom we often leave between men and women. With this approach, we have to change our mindsets so that we do oppress anyone and do not discriminate.
According to the constitution, everyone has been given equal rights. An authority game activity was also played in which I came to know how people do not get facilities and opportunities on the basis of their own identity. A lot of activities were done in which we got to understand how we can work in a group. In what ways one can help one another.
The second phase of the training took place in Lucknow.
We discussed Legal Rights, Hindu Marriage Act, Muslim Marriage Act, Protection of Women from Domestic Violence Act and Special Marriage Act. I too follow Hindu religion, however I didn't know much about the Hindu Marriage Act like who can get married under the Hindu Marriage Act and what are the customs. Through the training workshop, we got to know that under the Hindu Marriage Act, Saptapadi, Agnikund, Pandit are considered valid under the Act. Well, according to our social activities, many customs are present as well. In Hindu marriages, girls' wishes are not given much importance, but in Muslim marriages, girls' wishes are very important. The latest information I found is that under the Muslim Marriage Act, Muslims can marry or who consider themselves to be Muslims. The most important thing in a Muslim marriage is Mehr, a monetary promise is a right of Muslim girls. Muslim marriage cannot happen without Mehr. Nikahnama is called a valid certificate of marriage.
Then I got to know about the Special Marriage Act, under this act any person can get married. No matter what religion, caste he or she may be. Marriages are registered in the court under the Special Marriage Act. I feel very good that I am getting exposed to the outside world. Earlier I used to get very scared when I heard the name of the police but now I am confident enough that I can go and talk to the police myself. I felt very proud of myself.”
Written by Shubham Kumari
Edited by Almas and Vineeta
शुभम FAT की Young Women Leadership Program की सहभागी हैं। उन्होंने अपने पहले के अनभवों में बताया हैं की कैसे उसने अपने घर में रहकर अपनी बातो को रखना सीखा और अपने पढाई के लिए खुद की जिम्मेदारी भी ली। शुभम हाल ही में FAT के सहभागी के तौर पर AALI संस्था में कानूनी ट्रैनिंग के लिए पहली बार जुड़ी और इस दौरान उन्होंने जो सिख ली, वह हमारे साथ साझा कर रही हैं।
इस 4 दिन की आवासीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में हमें मौलिक अधिकार अधिनियम को लेकर काफी सारी बातें बताई गई। हमें संविधान के बारे में बहुत ही बारीकी से बताया गया। मुझे पहली बार सविधान का फुल फॉर्म पता चला। स=संवाद, वि=विविधता, धा=धारणाएं, न=नवाचार, और काफी अच्छे से संविधान का एक-एक शब्द क्या कहता बताया गया।
Article 14 के तहत समानता के अधिकार का एक अलग नज़रिया पता चला। हमें हर एक व्यक्ति के प्रति असमानता नहीं बल्की समानता का भाव रखना चाहिए। लेकिन आज समानता का दृष्टिकोण अलग है क्योंकि ना केवल समानता के अनुसार, बल्की हर किसी की जरूरत के अनुसार लोगो को सुविधा मिलनी चाहिए।
पितृसत्ता, जेंडर भेदभाव ,घरेलू हिंसा, अधिनियम, intersectionality ओर धर्म परिवर्तन के मुद्दों पर भी चर्चा हुई। साथ में ट्रांसजेंडर को लेकर बहुत सारी बातचीत हुई क्योंकि अक्सर हम पुरुष और महिलाओं के बीच में ट्रांसजेंडर समाज को पीछे छोड़ देते हैं। इस ट्रेनिंग से समझने को मिला कि हम खुद भी कहीं ना कहीं किसी के साथ अपनी सत्ता दिखाते हैं साथ में भेदभाव करते हैं।
इस नज़रिये के साथ अपनी सोच में बदलाव लाना है ताकि अब हम किसी पर अपनी सत्ता ना दिखा सके और ना ही भेदभाव करें।
संविधान के अनुसार सबको बराबर के अधिकार मिले हैं । एक सत्तात्मक खेल भी खेला गया जिसमें मुझे पता चला कि किस तरीके से अपनी-अपनी पहचान के आधार पर लोगों को सुविधाएं व् अवसर नहीं मिलते हैं। बहुत सारी एक्टिविटी करवाई गई जिसमें समझने को मिला कि हम एक ग्रुप में किस तरीके से काम कर सकते हैं। एक दूसरे को किस तरीके से मदद कर सकते हैं । हमे केस स्टडी के बारे में भी बताया गया की किसी भी केस स्टडी को सुलझाने के लिए सबसे जरूरी है कि उसको बहुत अच्छे से समझे और यह देखे की उसमें हमारे कौन से मौलिक अधिकार का हनन हुआ है l
दूसरी ट्रेनिंग हुई लखनऊ में।
ट्रेनिंग का मुद्दा था कानूनी अधिकार, हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम विवाह अधिनियम,घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम। मैं खुद हिंदू धर्म में हूं लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम क्या है, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कौन शादी कर सकते हैं, क्या रीति रिवाज है, इसकी जानकारी मुझे आधी अधूरी थी। AALI संस्था के द्वारा हमें यह जानने का मौका मिला की हिंदू विवाह में सप्तपदी, अग्निकुंड, पंडित, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी को वैध माना जाता है। वैसे हमारी सामाजिक गतिविधियों के अनुसार बहुत सारे रीति रिवाज बने हुए हैं। हिंदू विवाह में लड़कियों की मर्जी को इतना महत्व नहीं दिया जाता हैं, लकिन मुस्लिम विवाह में लड़कियों की मर्जी बहुत महत्व रखता है। सबसे नई जानकारी मुझे मिली की मुस्लिम विवाह अधिनियम के तहत मुसलमान शादी कर सकते हैं या जो खुद को मुसलमान मानते हैं। मुस्लिम विवाह में सबसे महत्वपूर्ण होता है मेहर जो की मुस्लिम लड़कियों का अधिकार है। निकाहनामा जिससे शादी का वैध प्रमाण पत्र कहा जाता हैं। मुस्लिम शादी मेहर के बिना नहीं हो सकती हैं।
फिर मुझे विशेष विवाह अधिनियम के बारे में जानने को मिला इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति शादी कर सकता है।चाहे वो कोई भी धर्म,जाति का हो। विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कोर्ट में रजिस्टर रहती हैं। मुझे काफी अच्छा लग रहा है की मैं अब बाहरी दुनिया से रूबरू हो रही हूं।मैं पहले पुलिस का नाम सुनते ही बहुत डर जाती थी लेकिन अब मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास हैं कि मैं खुद पुलिस से जाकर बातचीत कर सकती हूं।खुद पे बहुत गर्व महसूस होता है।
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