रवीना की नयी ज़िन्दगी
टेक सेण्टर एक ऐसी जगह है जहाँ रोज़ किशोरियाँ आकर अपनी जिंदगी की कहानियाँ मुझसे बांटती है । इन सभी किशोरियों में से एक किशोरी की जिंदगी के कुछ पल में आपके साथ बांटना चाहती हूँ ।
रवीना उम्र 19 साल, B.A सेकंड ईयर की स्टूडेंट, जल विहार बस्ती की रहने वाली किशोरी।टेक सेण्टर 2011 अप्रैल से शुरू किया, 8 महीने लगातार कंप्यूटर सीखने के बाद ,रवीना को फेट में काम करने के लिए चुना गया । रवीना के घर की आय 7000रूपये प्रति माह है । उसे काम की जरुरत थी , पर उसने इसके बावजूद फेट में काम करने से मना कर दिया क्योंकि रवीना का सबसे बड़ा डर लोगों से बात करना और बस में सफ़र करना था । घर के बहार का सभी काम वही करती थी पर बस में सफ़र करने से डरती थी। खाना खाने का शौक था पर बहार खाने से घबराती थी। उसे हमेशा लगता था की सब उसे ही देख रहें है , वो जो भी करती है लोगों की नज़रें उसे घूर रहीं है । फेट में काम के दौरान हमने सबसे पहले उसके डर के उपर ही काम किया । काम के पहले दिन से ही रवीना को बैंक के काम दिए गये । ऑफिस के लिए सामान लाने को कहा गया । रवीना हर बार बाहर जाने को मना करती पर समझाने पर वो चली जाती और वापस आने पर उसके साथ क्या क्या हुआ हमें बताती । शुरू में बसें छूटी ,लोगो से रस्ता पूछने में शर्म आई पर धीरे धीरे सब ठीक होता गया । पहले जब बैंक जाती तो बार-बार फ़ोन करती और पूछती थी पर कुछ ही समय बाद बैंक के कामों को वो समझ गयी, अब एक भी फ़ोन नहीं आते थे । अब रास्ता हम बताते या नहीं बताते उसके पास पता होना चाहिए, वो गूगल मैप से बस नंबर देखती और लोगों से पूछते पूछते वो काम की जगह तक पहुँचके काम करके आ जाती थी । जल विहार बस्ती में किशोरियों से बात करना हो या बस्ती में कोई भी इवेंट करवाना हो रवीना हमारी मदद करती है । 1 साल के बाद उसने खुद मुझसे कहा अब वो ऐसे लोगो के साथ काम करना चाहती है जिन्हें वो जानती नहीं । उसने कहा "आप लोगों को तो मैं जानती हूँ इसलिए आपसे इतनी बात कर लेती हूँ । मैं देखना चाहती हूँ नये ऑफ़िस में किस तरह मैं काम कर सकती हूँ ।" हम सब उसके इस निर्णय से खुश थे । नये जॉब की ओर उसका यह पहला कदम था । उसने एक ऑफिस में इंटरव्यू दिया और डाटा ऑपरेटर की जॉब के लिए चुन ली गयी।
कुछ दिन पहले जब में उससे मिलने गयी तब उसने बताया की वो अपनी नयी जॉब से बहुत खुश है । नए दोस्त, नए लोगों के साथ मज़ा आता है काम करने में । उसने वहां का काम खुद सीखा और उसके मेनेजर उसकी बहुत तारीफ भी करते है क्योंकि वह अपना काम हमेशा पूरा करती है वो भी सही समय पर । रवीना कहती है जिस तरह फेट में सभी साथ खाना खाते थे, अपनी बात बोल पाते थे, नए ऑफिस में ऐसा नहीं होता । जब सीनियर ऑफिसर आते हैं सभी चुप हो जाते हैं, मज़ाक नहीं करते हैं । एक दिन रवीना और उसके साथी बात कर रहें थे और सीनियर के आते ही सभी चुप हो गये । फिर सीनियर ने सबको डांट दिया तो रवीना ने आवाज़ उठाई और कहा "हमने अपना काम पूरा कर दिया है तो हम बात कर सकते हैं । काम के दौरान बात नहीं कर सकते ये तो कोई रूल नहीं है ।"
रवीना कहती है गलत बात जहां होती है वह ऑफिस में उस बात के लिए आवाज़ उठाती है और उसे अब डर नहीं लगता । वो आगे भी इस से अच्छी जॉब तलाश कर रही है । रवीना को देख कर उसकी बहन रेनुका भी अब काम करना चाहती है । रवीना की माँ ने घरों में काम करना बंद कर दिया है और घर के ख़र्च अब रवीना और रवीना के पिता की आमदनी से चलते हैं ।
घर के ख़र्चों में सहियोग देने के अलावा अपनी पढाई का खर्चा भी रवीना खुद ही उठाती है । अपने डर पर काबू पा कर उसे अपनी ज़िन्दगी पहले से ज़्यादा अच्छी लग रही है ।
- आशा तिवारी द्वारा एक ब्लॉग पोस्ट । आशा फैट में एक कार्यक्रम सहयोगी है और तकनीक केंद्र कार्यक्रम चलाती है
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